ऐसे लोगों के लिये धर्म और ज्ञान एक निरर्थक वस्तु हैं।
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ऐसे लोगों के लिये धर्म और ज्ञान एक निरर्थक वस्तु हैं।
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संस्कृति एक गड्ढा है और मूल्य गोमूत्र, दृष्टि एक निरर्थक वस्तु है.
5.
उपर्युक्त पंक्तियों का तात्पर्य यह नहीं है कि विचार-शक्ति निरर्थक वस्तु है और उसके द्वारा कुसंस्कारों को जीतने में सहायता नहीं मिलती।
6.
रैटल ज़िंदाबाद-एहतेराम इस्लाम का एक शेर ऐसे ही रैटल के लिये लिये लिखा गया है-मूर्ति सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लिये मोम की गुड़िया अगर बच्चे को प्यारी है तो है.
7.
हिंदी में एक बड़ा पुराना और प्रसिद्ध मुहावरा है-‘ खोदा पहाड़ निकला चूहा / निकली चुहिया ‘ उस मुहावरे का कविता में प्राकारंतर से अनामिका जी ने प्रयोग करके जो व्यंजना भाव लाना चाहा है, वह तो कहीं खो गया और अभिधा अर्थ ही चुहिया की तरह फुदक फुदक कर सामने आया! ‘ खोदा पहाड़ निकला चूहा ' में चूहे को एक अमहत्वपूर्ण, निरर्थक वस्तु के अर्थ में प्रयोग किया जाता है!
8.
थोड़ी देर बाद जब ध्यान आया कि सारा कहां है, तो देखा वो अब भी परदे के पीछे छिपी उस तरफ़ देख रही थी जिधर से मेरी आवाज़ आनी थी-ताअअअअअ!उस अपराध बोध की अगर डॉक्टर लोग दवा देने लगते हैं तो मैं उसे लेकर जेब में रख लेता हूं और कपड़ों की धुलाई में उसे घुल जाने देता हूं.रैटल ज़िंदाबाद-एहतेराम इस्लाम का एक शेर ऐसे ही रैटल के लिये लिये लिखा गया है-मूर्ति सोने की निरर्थक वस्तु है उसके लियेमोम की गुड़िया अगर बच्चे को प्यारी है तो है.